भाजपा ने नाथ सरकार को जमकर घेरा पूर्व मंत्री ने लगाएं बिंदुवार यह आरोप

भाजपा ने कमलनाथ सरकार को घेरा पूर्व मंत्री ने लगाएं प्रदेश सरकार पर जमकर किसानों के साथ छल करने और धोखा देने के आरोप आज मप्र के सागर शहर में एक प्रेस वार्ता में प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और खुरई विधानसभा से विधायक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि
➡कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ कर देंगे नही तो मुख्यमंत्री बदल देंगे दोनों काम नही हुए एक साल में किसानों का कर्ज माफ नही हुआ जबकि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था सभी किसानों का 2 लाख तक कर्ज माफ करेंगे जिसमें सहकारी बैंक एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों शामिल होंगे  17 दिसम्बर 2018 को शपथ लेने के 11 माह बाद भी किसानों का पूरा कर्ज माफ नहीं हुआ और ना ही मुख्यमंत्री ही बदले गए, म.प्र. की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 25 प्रतिशत किसानों की भी कर्ज माफी नहीं कर पायी है इस कारण किसान भरोसे में फसल बीमा सहित और अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह गया साथ ही में जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का वास्तविक लाभ देने का वचन दिया था। खरीफ ऋण की डयू-डेट 31 दिसम्बर तय करेगें का वादा किया था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया। म.प्र. के किसान से घोषित कर दण्ड ब्याज सहित कर्ज की वसूली की जा रही है तथा किसानों को सहकारी एवं राष्ट्रीकृत बैंकों से पुर्न ऋण वितरण भी नहीं हो पा रहा है। वित्त पोषण नहीं होने से किसानों का काम प्रभावित हो रहा है।कांग्रेस को जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिये कि जब विधानसभा चुनाव में 2 लाख की कर्ज माफी का वादा किया था तो उसके लिये धन का प्रावधान क्यों नहीं।
किया गया था,बात-बात पर केन्द्र सरकार को कोसने वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सीधे-सीधे किसानों को धोका दिया है।
➡आपदा प्रबंधन और बाद मुआवजा व राहत राशि देने में नाकाम कांग्रेस सरकार इस वर्ष प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिलों में अतिवर्षा से आई बाढ़ में हजारों घर बह गए, मवेशी, गाय, भैंस आदि हजारों की संख्या में बहकर मर गए,किसानों के घरों में रखी सोयाबीन, गेहूँ, सरसों, लहसुन, चना आदि फसलें नष्ट हो गई घरों की तबाही ऐसी हई की सर छुपाने की जगह नहीं बची मुख्यमंत्री, मंत्री प्रभावित गाँवों में समय पर नहीं पहुँची सरकार आपदा प्रबंधन में पूर्ण रूप से नाकाम रही है। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार अति वृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का निर्धारित मापदण्डों के अनुसार विधिवत आंकलन कर आज दिनांक तक कोई रिपोर्ट जमा नही कि गई अनुमानित आंकड़ों के बल पर ही मात्र कागज़ी घोड़े दौड़ रहें हैं वहीं दूसरी ओर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मध्यप्रदेश के किसानों के प्रति अपना संवेदनशील रवैया रखते हुए किसानों को राहत देने के लिये 1000 करोड़ की राशि प्रदेश सरकार को दी है, अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार बताये की यह राशि कितने किसानों को वितरित की गई, क्या सरकार ने आपदा प्रबंधन का जो करोड़ों रूपया था उसका उपयोग ट्रांसफर उद्योग के भत्तों में अर्थात मंत्रियों के बंगलों गाड़ी की चमक दमक में खर्च कर दिया कमलनाथ सरकार के पास इस बात का क्या जवाब है कि जब हमारी सरकार ने पर 200 रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त देने के साथ-साथ सालभर में लगभग 33 हजार करोड़ रूपया मध्यप्रदेश के किसानों को बिना केन्द्र की मदद के दिया था। तो फिर कमलनाथ सरकार किसानों की फसल की सामान्य खरीदी करने में भी धन का रोना क्यों रो रही है।
➡ युरिया का संकट निकम्मी और संवेदनहीन कांग्रेस सरकार की उपज केन्द्र में कांग्रेस की नेतत्व वाली यूपीए सरकार के दौर में देश भर में यूरिया की कालाबाजारी जोरों पर थी किसानों को यूरिया के संकट से जूझना पड़ता था, यूरिया मांगने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनायें आम थी। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद देश में यूरिया की उपलब्धता किसानों तक करने के लिये सार्थक प्रयास किये गये, संकट समाप्त किये गये, कालाबाजारी और अन्य उपयोग रोकने के लिये नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन कराया गया,मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रहते हुए किसानों को यरिया की उपलब्धता समय से पहले सुनिश्चित करा ली जाती थी अब मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में फिर वही दौर लौटकर आ गया, यूरिया मांगने वाले किसानों की लंबी लाईनें दिखाई देने लगी,किसान परेशान है लेकिन लगातार तबादलों में तल्लीन, रेत और शराब के कारोबार में व्यस्त कांग्रेस की सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन बनी रहीं, रबी की फसल प्रदेश में कितने हेक्टेयर में बोई गई इसका आंकलन सरकार करने में नाकाम सिद्ध हुई बल्कि ऐसा करने का सरकार की और से विधिवत कोई कार्य भी नही हुआ जिस कारण किसानों की मांग के अनुसार खाद विशेषकर युरिया का संकट पैदा हो गया। कांग्रेस सरकार करप्शन, कालाबाजारी और कुशासन का प्रतीक बनकर किसानों के संकट का कारण बन गई है। केन्द्र की मोदी सरकार मांग के अनुसार यूरिया उपलब्ध कराने को लगातार तत्पर रही है और आपूर्ति में केन्द्र सरकार की ओर से कोई बाधा नही है।
➡ धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी की ना व्यवस्था और ना ही मंशा खरीब की फसल विशेषकर धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का प्रंबधन आज दिनांक तक प्रदेश सरकार द्वारा नहीं किया गया हैं। दो-दो बार खरीदी करने की तारीखें बढ़ाई गई है, आज भी खरीदी करने के लिये आवश्यक संसाधन नही जुटाये गये है और ना ही व्यवस्थागत तैयारियां की गई है। मजबूरन समर्थन मूल्य से नीचे अपनी उपज बेचने पर किसान मजबूर है।
➡ खेती के लिए किसानों को 12 घण्टे बिजली दे सरकार कांग्रेस ने वचन पत्र में कहा था, “किसानों को श्री-फेस की बिजली प्रतिदिन 12 घण्टे देना सुनिश्चित करेंगे, जिसमें कम से कम 8 घण्टे दिन का समय रहेगा सरकार नियमित रूप से खेती के लिए दिन में 12 घण्टे बिजली देने का वचन पूरा करे और ग्रामीण क्षेत्रों में अविलंब कटौती बंद कर नियमित रूप से दिन में 24 घण्टे घरेलू बिजली आपूर्ति करे।
➡पिछले साल गेहूँ के समर्थन मूल्य में 160 रूपया प्रति क्विंटल अतिरिक्त राशि किसानों को देने का वादा कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किया था और इसे बकायदा विधानसभा को आश्वस्त किया था लेकिन किसानों के साथ धोखेबाज सरकार ने वह राशि आज दिनांक तक किसानों को नहीं दी, इससे यह स्पष्ट होता है कि न केवल कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी में अंतर है बल्कि गुमराह करना, धोखा देना इनकी आदत है। भारी वर्षा से जो फसले खराब हुई उनका मुआवजा देना तो दूर तत्परता से और समय पर सर्वे तक नहीं कराया केन्द्र सरकार ने फसलों के नुकसान पर दो बार दल भेजा और 1000 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश सरकार को भेजे लेकिन यह सरकार किसानों को अभी तक 100 करोड़ रूपये भी नहीं बाट पाई किसानो को पाला, तुसार की नुकसानी सहित फरवरी 2019 में घोषित 160 रूपये प्रति क्विंटल बोनस की राशि भी अभी तक प्रदान नहीं गई विद्युत कटौती प्रदेश सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए 12 घंटे बिजली सप्लाई करने का वायदा किया था,जबकी मुसकिल से 5 से 6 घंटे बिजली सप्लाई मिल रही है सागर जिले में ही कई जगह के ट्रॉस्फार्मर जले पड़े है। जिन्हें बदला नहीं जा रहा प्रदेश सरकार ने नये ट्रॉस्फार्मर खरीदना बंद कर दिया है पुराने ट्रॉस्फार्मर को रिपेयर करके लगया जा रहा है जिन्हे 10-10 बार रिपेयर किये जाने से उनकी लाइफ खतम हो चुकी है इसलिए ऐसे ट्रॉस्फार्मर 5-10 दिन भी नहीं चल पा रहे किसानों की महत्वपूर्ण योजना बंद कर दी- भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप योजना लागू की थी, जिसमें किसान से मात्र 28 हजार रूपये जमा कराकर 2.5 लाख रूपये तक का खर्चा सरकार देती थी वह योजना कमलनाथ सरकार ने बंद कर दी है परियोजनाओं के काम अटके बुंदेलखंड अंचल के खेतों की प्यास बुझाने व सिंचाई का रकबा बढ़ाने सहित पेयजल की उनलब्धता बनाने बुंदेलखंड अंचल में चल रही परियोजनाओं के कार्य तकरीबन अटक गए हैं। वर्ष 2020 तक बुंदेलखंड के एक लाख हेक्टेयर में सिंचाई के लिए बनी इन परियोजनाओं पर कार्य आरंभ हुआ था, लेकिन कहीं बजट की कमी तो कहीं जमीन का रोड़ा इसमें बाधा बन रहा है प्रदेश में सरकार बदलना भी कार्य की गति में आई ढिलाई को वजह बताया जा रहा है, परियोजनाओं के कार्य में धीमी गति से लागत भी बढ़ रही है और लोगों खासतौर पर किसानों को इनका लाभ मिलने में देर हो रही है। बीना कांपलेक्स- सागर जिले की बहुउद्देशीय बीना नदी परियोजना (बीना कांपलेक्स) का कार्य जमीन पर नहीं आ सका है करीब 37 सौ करोड़ की इस परियोजना का कार्य एक साल पहले आरंभ हुआ इससे सागर जिले की करीब 90 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित व लोगों को पेयजल मुहैया कराना था। वित्तीय हालात चिंताजनक मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार के वित्तीय हालात चिंताजनक है अपने एक साल के कार्यकाल में इस सरकार ने लगभग हर माह 1000 करोड़ रूपये का कर्जा लिया है वित्तीय हालात ठीक न होने से अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं में हितग्राहियों को राशि का भुगतान तक नहीं किया जा रहा।
मीडीया से इन तमाम चर्चा के दौरान सागर संभागीय मीडिया प्रभारी प्रदीप राजौरिया और जिला मीडिया प्रभारी राजेश सैनी सहित अन्य भाजपा के लोग मौजूद थे
गजेंद्र सिंह की रिपोर्ट-9302303212
KhabarKaAsar.com
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