इस गांव में प्रत्येक शुभ काम की शुरुआत रावण की पूजा से करते हैं लोग/जनिए इसके पीछे की मान्यता हैं

शुभ काम शुरू करने से पहले रावण की पूजा करते हैं यहां के लोग विदिशा के एक गांव का नाम रावण, हर शुभ काम की शुरुआत रावण पूजा से होती हैं यहाँ
मप्र(विदिशा)–/दुनियां भर में जब दशहरे पर रावण के पुतलों का दहन होगा, तब विदिशा के रावण गांव के रावण बाबा मंदिर में रावण की महापूजा की जाएगी। उसके नाभिकुण्ड पर घी का लेप कर राम द्वारा मारे गए अग्निबाण की तपन को शांत करने का प्रयास होगा। भजन-कीर्तन और रामायण का पाठ होगा। प्राचीन रावण मंदिर में दर्शनार्थियों और पूजन करने अभी से लोग पहुंचने लगे हैं। इस गांव में हर शुभ काम की शुरुआत रावण पूजा के साथ ही शुरू होती है।
खुले में पड़ी थी प्रतिमा, अब मंदिर बना विदिशा जिला मुख्यालय से 41 किमी दूर(नटेरन के पास)एक गांव बसा हुआ है, जिसका नाम ही रावण है। ब्राम्हण बाहुल्य इस गांव में प्रवेश करते ही एक तालाब और रावण बाबा का मंदिर है। करीब 10 वर्ष पहले तक यहां एक टीले पर पत्थर की विशाल प्राचीन प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में थी, जिसे रावण के रूप में पूजा जाता था, यहां अब ग्रामीणों ने मंदिर बना दिया है, इसे और भव्य बनाने के प्रयास भी जारी हैं।
रावण की इस प्रतिमा में नाभि स्पष्ट दिखाई देती है, छह सिर सामने दिखाई देते हैं, माना जाता है कि शेष चार सिर पीछे की ओर हैं जो लेटी प्रतिमा के कारण दिखाई नहीं देते। हर शुभ काम में रावण बाबा प्रथम पूज्य भगवान गणपति की पूजा से जैसे हर शुभ काम का शुभारंभ होता है, वैसे ही रावण गांव में हर शुभ काम की शुरुआत रावण बाबा की पूजा से होती है। किसी के घर में विवाह कार्य हो, जन्म हो, मुंडन संस्कार हो, ट्रेक्टर या बाइक खरीदी गई हो तो सबसे पहले रावण बाबा की पूजा होती है नई बहू भी यहां आकर पहले मत्था टेकती है दशहरे पर भी यहां रावण का दहन नहीं होता।
रावण की प्रतिमा बनाकर करना पहलवानी मान्यता है कि क्षेत्र में बूधो नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जो रावण के दरबार में जाकर उसके वैभव और पराक्रम को देखता रहता था उसे लगता था कि वह भी रावण के साथ दंगल में भिड़े एक बार रावण ने उससे पूछा और दरबार में आने का कारण पूछा तो बूधों ने रावण से दंगल में भिडऩे की इच्छा जताई तब रावण ने कहा था तुम जहां रहते हो वहां पहाड़ी के पास मेरी प्रतिमा मिलेगी, उससे लडऩे का अभ्यास करो और अपनी इच्छा पूरी करो इसके बाद जब बूधो वापस लौटा तो उसे यह प्रतिमा मिली गौरतलब है कि बूधो की पहाड़ी भी पास ही है तब से यह प्रतिमा यहीं स्थापित मानी जाती है
गांव का हर शुभ काम यहीं से शुरू होता है यज्ञ, भागवत, विवाह आदि के कार्य की शुरूआत रावण बाबा के मंदिर में पूजा होती है। ग्रामीणों के वाहनों पर जय लंकेश या रावण बाबा की जय लिखा जाता है, सामने ही तालाब है, जिसका जल बहुत पवित्र माना जाता है। तालाब में स्नान कर सकते हैं, जल से भगवान की पूजा करते हैं, लेकिन कपड़े आदि नहीं धोते। इसकी मिट्टी बहुत गुणकारी है, इससे बाल धोए जाते हैं। तालाब के बीचों बीच रावण बाबा की तलवार भी बताई जाती है।
ख़बर का असर डॉट कॉम

 

KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top